बाबा खाटू श्यामजी : श्रद्धा, भक्ति और चमत्कार की जीवंत कथा पुस्तक की प्रस्तावना (परिचय):
बाबा खाटू श्यामजी : श्रद्धा, भक्ति और चमत्कार की जीवंत कथा; केवल एक धार्मिक पुस्तक नहीं है, यह उस असीमश्रद्धा और विश्वास का जीवंत दस्तावेज़ है, जो लाखों-करोड़ों भक्तों के हृदय में बाबा श्याम के प्रति विद्यमान है। यहपुस्तक एक ऐसे दिव्य चरित्र की कथा है, जिनकी भक्ति में समर्पित हृदयों को शांति, समाधान और सिद्धि मिलती है।
बाबा खाटू श्यामजी, जिन्हें हिन्दू धर्म में भगवान श्रीकृष्ण के कलियुगीन रूप के रूप में माना जाता है, वास्तव में बर्बरीक
के रूप में जन्मे थे। बर्बरीक महाभारत के महान योद्धा घटोत्कच के पुत्र थे, और स्वयं को भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित कर दिया था। उनकी सबसे विशेष बात यह थी कि वे त्रेता और द्वापर युग की घटनाओं से प्रभावित होने के बावजूद कलियुग के लोगों की सबसे बड़ी आस्था का केंद्र बने।
महाभारत के युद्ध में भाग लेने की इच्छा लेकर जब बर्बरीक कुरुक्षेत्र पहुँचे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उनकी शक्ति औरनिष्ठा को देखकर उन्हें युद्ध में भाग न लेने की सलाह दी, बल्कि उनके सिर को युद्ध का साक्षी बनाने के लिए माँगा। बिना किसी झिझक के बर्बरीक ने अपना शीश दान कर दिया। यह दान आज भी भारतीय संस्कृति में श्रेष्ठ बलिदान के रूप मेंजाना जाता है। श्रीकृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि कलियुग में वे श्याम नाम से पूजे जाएंगे और उनकी भक्ति करने वाला
कोई भी व्यक्ति निराश नहीं होगा।राजस्थान के सीकर ज़िले में स्थित खाटूधाम बाबा श्याम का प्रमुख मंदिर है। यहाँ प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु देश-विदेश सेदर्शन के लिए आते हैं। बाबा श्याम की प्रतिमा को लेकर कई चमत्कारी कहानियाँ प्रचलित हैं – एक भक्त को स्वप्न में निर्देश देकर मंदिर का निर्माण कराया गया।
इस पुस्तक में केवल धार्मिक आस्था या किंवदंतियाँ ही नहीं हैं, बल्कि वास्तविक घटनाओं, भक्तों के अनुभवों, चमत्कारों और लोक परंपराओं का विस्तृत वर्णन है। श्याम बाबा के साथ जुड़ी भजन परंपरा, पूजा विधियाँ, उनके उत्सव और मेले,भक्तों के सच्चे अनुभव – सब कुछ इस पुस्तक में सम्मिलित किया गया है ताकि पाठक को एक सम्पूर्ण आध्यात्मिक अनुभवमिल सके।
खाटू श्याम बाबा केवल एक देवता नहीं, एक विश्वास हैं। वे हर उस व्यक्ति के ईश्वर हैं जो सच्चे मन से उनसे जुड़ना चाहता है, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म, वर्ग या पंथ का क्यों न हो। उनके दरबार में कोई भेदभाव नहीं है – बाबा सभी को समान दृष्टि से देखते हैं और सच्ची भक्ति का उत्तर अवश्य देते हैं। इस पुस्तक का उद्देश्य श्रद्धालुओं को बाबा श्याम की दिव्यता से जोड़ना, उनकी शिक्षाओं से प्रेरणा लेना और जीवन के हर कठिन समय में उनसे सम्बंध बनाये रखने की भावना को मजबूत करना है। यह पुस्तक केवल ज्ञान का माध्यम नहीं, भक्ति की एक नदी है – जो पाठक को अध्यात्म, भक्ति और आत्मबल की ओर प्रवाहित करती है।
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